Jivan Ka Arth Kya Hai – Shastri Ji | Wide Angle With Ashok Vyas

0:00नमस्कार मैं हूं अशोक व्यास और नाम मेरा

0:03कुछ भी हो बात यह है कि मेरा और आपके साथ

0:06जो एक संबंध है वो संबंध आत्मीयता का है

0:09वो प्रेम का है वो उन मंगल भावनाओं का है

0:14जिसको लेकर हम एक दूसरे से जुड़ते हैं और

0:18जब अपनापन होता है तो हम सुख में भी

0:21साझेदार होते हैं और दुख में भी साझेदार

0:24होते हैं चिंताओं में भी हमारा साझा होता

0:27है तो श्रद्धा के

0:30जो सेतु हैं उनकी साझेदारी भी करनी चाहिए

0:36यही भावना लेकर विशेष करके इन दिनों में

0:39जब पूरा विश्व एक क्राइसिस से गुजर रहा है

0:42अमेरिका और खास करके उसमें न्यूयॉर्क के

0:44सामने भी चुनौती के बादल भंडारे पर मनुष्य

0:48वह है जो चलता रहे और समस्याओं के बीच में

0:52समाधान की तलाश करने की जो उसकी कोशिश है

0:57वो कभी खत्म नहीं हो तो और अधिक जानने की

1:00और

1:01अधिक उत्साह से विस्तार की तरफ और बेहतर

1:07जीवन की तरफ समाज की तरफ बढ़ने की दिशा

1:10में शास्त्र हमारी क्या मदद करते हैं क्या

1:13संकेत देते हैं इसके बारे में जानने के

1:15लिए हमने आमंत्रित किया शी जगदीश त्रिपा

1:17को प्रणाम है आपको स्वागत है

1:19आपका नमस्कार व्यास जी कैसे हैं आप मैं

1:23बहुत आनंद में हूं और आप कैसे हैं मैं भी

1:27आनंद के आसपास हूं और य सोच रहा हूं कि हम

1:30सब मिलकर आनंद का जो अर्थ है उसको आपके

1:33साथ बैठकर समझे तो मैं मूल प्रश्न से शुरू

1:37करता हूं शास्त्री जी जो समध रखता है कि

1:41जीने का जो महत्व है वो क्या है जीवन का

1:45अर्थ क्या है शास्त्र इस बारे में क्या

1:47कहते

1:49हैं

1:51तो आपका जो प्रश्न है वह बहु आयामी है और

1:55मैं उसको एक तरफ ले जाकर के ऐसे कहता हूं

2:00में न जाते हुए एक कवि की दो लाइने आपको

2:05कहूं वो कहते हैं

2:08कि जिंदगी में जीवन का अर्थ क्या है या

2:12जीवन में महत्त्वपूर्ण क्या है तो उनके

2:16हिसाब से वो कहते हैं कि जिंदगी में सबसे

2:21प्यारी खुद है जिंदगी जिंदगी से कुछ ना

2:26चाहे तो सफल है जिंदगी क्या बात

2:30तो जीवन में जीवन ही सबसे ज्यादा

2:33महत्त्वपूर्ण है और यदि वह हमारे पास में

2:36है तो उसके सिवाय सब कुछ गड है और जीवन

2:40अपने आप में पूर्ण है जीवन से बड़ा इस

2:44अखिल ब्रह्मांड में कुछ भी नहीं है और मैं

2:46तो यह भी कहता हूं कि ब्रह्मांड भी इससे

2:50छोटा है हमारे यहां एक सूत्र कहा जाता है

2:54यथा पिंडे तथा ब्रह्मांडे जो कुछ

2:57ब्रह्मांड में है जो कुछ सारे जगत में जो

2:59फैलाव है वो सब मुझ में है या मुझसे ही

3:03होती सब हलचल मुझसे ही लगते सब मेले सब

3:07कुछ मुझसे है या सब कुछ मुझ में है स्वामी

3:10राम की दो लाइन मैं आपको कहूंगा उन्होंने

3:13कहा कि जो तू

3:15है सो मैं हूं जो मैं हूं सो तू है ना कुछ

3:21जुस्तजू है ना कुछ आरजू है बसा राम मुझ

3:26में और मैं राम में हूं क्या बात क्या बात

3:30तो यह जो बातें आप सुनते हुए ऐसा लगता है

3:34कि ये एक अलग लोक है क्योंकि जब हमारे

3:38आसपास कुछ ऐसी घटनाए होती है जिनको लेकर

3:40हम चिंतित होते हैं तो यह जो एक स्वच्छता

3:44के साथ जीवन को देखने की जो पात्रता या

3:48ताकत कह दीजिए वो हमारी धीरे धीरे हट जाती

3:50है पर सामान्यत अभी तो खैर विशेष

3:53परिस्थिति है पर त्रिपाठी सामान्य भी देखा

3:55जाता है कि कुछ लोग हमेशा चिंता में ही

3:58रहते हैं कुछ लोग हमेशा मस्त रहते हैं तो

4:01क्या कारण है आपको लगता है कि कुछ मनुष्य

4:04अधिक चिंतित रहने का स्वभाव रखते

4:08हैं ये बदला जा सकता है क्या बिल्कुल बदला

4:11जा सकता है और यह हमारी मानसिकता हमारा जो

4:14माइंड सेट है हमारी जो मेंटालिटी है उससे

4:17मैं एक छोटी कथा सुनाऊंगा रामचरित मानस की

4:20भगवान श्री राम लंका में सेतु बंध के बाद

4:24जब पहुंचते हैं और सुबल प पर्वत पर बैठे

4:27हैं भगवान श्री राघवन सरकार ने अपने जो

4:31साथ में मित्रगण थे या जो उनके सेवक अनुचर

4:34थे उनसे कहा कि क प्रभु शशि महा मचक ताई

4:38कहु काह निज निज मत भाई भगवान श्री राम ने

4:42कहा कि मित्रों यह बताओ ये जो चंद्रमा में

4:45काला धब्बा है य जो शमता है यह क्या है तो

4:48एक ने कहा कि महाराज इसको किसी ने लात मार

4:52दिया है और जहां पर उसको मारा गया तो वहां

4:55पर नीला पड़ गया इसलिए वो नीला है और एक

4:58ने कहा कि महाराज जब विधि रति मुख कीना

5:03सार अंश सश करर हरना का के वो जब ब्रह्मा

5:07ने रति का मुख बनाया तो चंद्रमा का थोड़ा

5:09सार हिस्सा ले लिया और उसमें से रति का

5:12मुख बना दिया एक ने कुछ और कहा और हनुमान

5:16जी ने कहा कि कहा हनुमंत सुनहु प्रभु ससी

5:20तुम्हार प्रिय दास तब मूरति विधुर बसत सोई

5:25शमता आभास अब देखना यह है कि एक स्थान पर

5:30एक प्रश्न के चार उत्तर आते हैं और एक

5:34उत्तर आता है कि उसको मारा गया है एक

5:36उत्तर आता है कि यह इसमें भूमि की छाया

5:39पड़ रही है एक उत्तर आता है कि यह आपका

5:41दास है तो अभिप्राय यह है कि जिसकी जो

5:44मानसिकता है वह चंद्रमा में आरोपित करके

5:47देख रहा है

5:49इसलिए हम जीवन को अपनी मानसिकता के हिसाब

5:54से देख सकते हैं इस विषम परिस्थिति में

5:56कोई बहुत लोग आनंद में है क्योंकि वो उस

5:58दृष्टि को प्राप्त है तो हमारी मानसिकता

6:02बदले हमारा चिंतन बदले और हम पॉजिटिव हो

6:06मैं मैं बताऊ पॉजिटिव हो के मतलब कोरोना

6:10पॉजिटिव किसी को नहीं होना है हमें हमें

6:13सकारात्मक विचारधारा के साथ जीवंत रहना है

6:16और इस तरह से पॉजिटिव होना है तो अगर हम

6:20मैं एक बात जरूर कहूंगा अगर हम सकारात्मक

6:23विचारधारा को लेकर के जीवन को जीते हैं तो

6:27निश्चित है कि हम बीमारी से पॉजिटिव नहीं

6:30हो पाए ये पक्की बात है हम अभी सभी कह रहे

6:33हैं एक दूसरे से कि इम्यून सिस्टम हमारा

6:36स्ट्रांग होना चाहिए और अगर हमारे थॉट्स

6:39पॉजिटिव नहीं होंगे तो हमारा इम्यून

6:40सिस्टम भी स्ट्रांग रह नहीं सकता है तो

6:43थॉट्स पॉजिटिव करने की दिशा में जब मैं

6:45पुनः शास्त्रों की बात या जो उपाय षट

6:48संपत्ति के बताए वो वैसे तो उपासना की

6:52दृष्टि से है पर वो तो सर्वकालिक है यानी

6:56हर परिस्थिति में जो षट संपत्ति हमारे

6:58यहां बताए तो मैंने ट संपत्ति शब्द का

7:01प्रयोग कर दिया है आप बताएं कि ट संपत्ति

7:04जब कहते हैं हमारे शास्त्र तो उसका क्या

7:06अभिप्राय होता है मैं थोड़ा सा इस सट

7:09संपत्ति में ना जाकर के मैं जिस फ्लो में

7:11हूं मैं थोड़ा सा एक बात रामचरित रामचरित

7:15मानस का एक एक भगवान श्री राम के प्रति जो

7:19स्तुति गोस्वामी तुलसीदास जी करते हैं

7:21अयोध्या कांड के आरंभ में तो बहुत है

7:24लेकिन वो दो एक श्लोक को मैं कहूंगा तो वो

7:29कहते हैं कि प्रसन्नता यान गता अभिषेक तथा

7:33नले बनवास दुखित मुखा बुज श्री रघुनंदन

7:38स्य सदा स्तु मेंे मंजुल मंगल प्रदा और

7:42इसका अभिप्राय य है वो कहते हैं कि मैं

7:45रघुनाथ का दास इसलिए हूं हम हमारा पूरा

7:49वैदिक सनातन समाज पूरा भारतवर्ष उठते ही

7:54राम के नाम के साथ अभिवादन के साथ में

7:57अपना दिन आरंभ करता है और जब कोई मिलता है

8:00तो राम राम के साथ अभिवादन होता रहा है और

8:03अभी भी होता है उसके पीछे कारण क्यों राम

8:06इतने प्रिय है लोक प्रिय क्यों है भगवान

8:09है इसलिए तो है ही है लेकिन वास्तव में

8:11भगवान क्यों तो कहा कि सायंकाल में

8:16गुरुदेव वशिष्ठ आते हैं राम के पास और

8:19कहते हैं कि कल प्रातः काल आप अयोध्या के

8:23राजा बनाए जाएंगे आपका राज्य अभिषेक होगा

8:26इसलिए राम करहु सब संजम आजु आज संयमित

8:29जीवन को व्यतीत करना है कल आप राजा बनाए

8:33जाएंगे

8:35संपूर्ण राज्य मंत्री परिषद के द्वारा

8:39मनोनीत करके और गुरुदेव वशिष्ठ के द्वारा

8:42यह संदेश देकर के जिन्हे सुबह राजा राजा

8:45बनना है उन्हें प्रातः काल उन्हीं राम को

8:49अयोध्या से निष्कासित कर दिया जाता है 14

8:52वर्ष का वन दिया जाता है और उस अवस्था में

8:55जब राम वन की तरफ जा रहे हैं उस समय का ये

8:58चित्र गो स्वामी तुलसीदास जी करते हैं

9:01कहते हैं कि मुखा भुज श्री रघुनंदन सदा

9:06स्तु में मंजुल मंगल प्रदा प्रसन्नता यान

9:10गता

9:13नवास अभिप्राय कि मैं ऐसे रघुनाथ की वंदना

9:17करता हूं जो वन में जा रहे हैं और जिनका

9:20राज्य से पदत करके और 14 वर्ष के लिए वन

9:23में भेज दिया गया है अकारण ही कोई दोष के

9:26बिना पर इतनी प्रसन्नता उनके मुखा मंडल

9:29में है कि जिस रास्ते से जाते हैं अभी

9:32वहां वीरानी है अभी वहां वसंत आया नहीं

9:36वसंत ऋतु आने को है समय है लेकिन राम की

9:39प्रसन्नता राम की जीवंतता को देखकर उस उस

9:43रास्ते में फूल खिलने लग जाते हैं बाहर आ

9:46जाती जिसको हमारे य कहते वीराने में बाहर

9:48आ गई तो राम के जीवन की प्रसन्नता इतनी

9:53ज्यादा है कि वीरान गलियां भी प्रसन्नता

9:57से भर जाती है इसलिए हम राम का अनुगमन

10:02करें राम राम कहना ही मात्र बहुत नहीं है

10:06राम के जीवन का को समझते हुए और राम के

10:10जीवन में यह जानना है कि विषम

10:12परिस्थितियों में राम कैसे मुस्कुराते रह

10:14सकते हैं तो यदि हम राम के दास है तो हम

10:17भी इन विषम परिस्थितियों में मुस्कुराते

10:19हुए इस समय को पार कर पाएंगे तो त्रिपा जी

10:23आपने कहा कि विषम परिस्थिति में

10:24मुस्कुराते पर एक विवरण ऐसा भी आता है जब

10:27कि सीता मैया को राव हर के ले गए हैं तो

10:30राम का जो चरित्र है उसमें वो एक सामान्य

10:36मनुष्य जिस प्रकार से वियोग में दुखी होगा

10:39इस प्रकार के कथानक बहुत सारे आते आपने

10:42पढ़े सुने होंगे ठीक ठीक उसके मूल में

10:45क्या है और क्यों राम जी ऐसी लीला करते

10:48हैं कि सीता मैया के वियोग में वह एक जो

10:53आम जो अपनी भार्या के प्रति विशेष अनुराग

10:56रखते होंगे तो उनके मन में जै

11:00भाव आएगा वैसा राम जी के मन में भी आया स

11:02सुनते हैं वो राम जी के मन में आया और मैं

11:05समझता हूं राम का संपूर्ण जीवन अनुकरणीय

11:08है और इसलिए मैं यह बात चाहे विनोद में

11:12लीजिए और चाहे आप जैसे गंभीरता से लीजिए

11:14पर मैं इसलिए शायद य कहना चाहता हूं भगवान

11:17श्री राख सरकार य समस्त उन मनुष्यों को

11:19कहना चाहते हैं कि अपने अपनी भारिया को

11:22महत्व

11:23दीजिए वो हमारी पत्नी है ऐसा उसमें संकेत

11:28किया गया था यानी आपकी बुद्धि आपके कहे

11:30में हो तो त्रिपाठी जी मन हमारा कई बार

11:35मानता नहीं है उसी को लेकर तो सारा संकट

11:38रहता है क्योंकि वही स्थिति हो पर अगर मन

11:42मान जाए तो आप प्रसन्न रह सकते हैं और मन

11:45नहीं माने तो आप

11:49अप्रसार कहा करती थी जिन मन के हारे हार

11:54है मन के जीते जीत तो त्रिपाटी एक तो सवाल

11:58यह है कि हम जैसे प्रयोग करते हैं बुद्धि

12:01और मन तो दोनों एक ही है

12:05क्या बुद्धि और मन वैसे देखा जाए तो एक ही

12:10एक ही मालूम पड़ते हैं

12:13परंतु बुद्धि मन को कंट्रोल कर सकती है मन

12:19जैसे जैसे जहां जहां भागता है और वैसे

12:22देखें तो चिंतन में यह लगता है कि बुद्धि

12:26ही तो मन है बुद्धि जाती है ही जाता है तो

12:29उसी को हम मन कह देते

12:31हैं लेकिन परिमार्जित जो बुद्धि है वह मन

12:36को भटकने वाले चिंतन को कंट्रोल कर सकती

12:39है तो बुद्धि जो है ना मन से ऊपर की

12:43स्थिति है

12:45तो अब बुद्धि के विकास के बारे में भी हम

12:49सुनते हैं बुद्धि विकसित होनी तो आप समझिए

12:52कि जो विवेक बुद्धि है ना वो जो बताती है

12:56कि अभी आपके लिए सही क्या है आप आपके लिए

12:59गलत क्या है और एक निश्चयाचा कुछ होता है

13:02कि भाई आपने ये डिसाइड कर लिया कि मुझे यह

13:05करना है यह राइट कोर्स ऑफ एक्शन है मेरे

13:07लिए अभी के हालात में जो बुद्धि की दृढ़ता

13:12है उसको बढ़ाने के लिए जैसे हम अक्सर तो

13:15शॉर्टकट ढूंढते हैं पर समझिए अभी तो ये जो

13:18लॉकडाउन है वो थोड़ा और लंबे समय के लिए

13:21बढ़ गया है तो आप कोई उपाय बताए कि बुद्धि

13:23की जो

13:27निश्चल कम हो

13:31तो इसमें दो चीजें है व्यास जी पहली बात

13:34तो यह है

13:35कि इस समय को या लॉकडाउन को

13:41आप नेगेटिव ढंग से ल कि अरे ये तो बहुत

13:44बुरा है बहुत बुरा हो गया और या तो फिर

13:48दूसरी ढंग से ले मैं य समझता हूं कि इस

13:50समय को साधना की तरह से ले लेना चाहिए और

13:55आपको यह चिंतन करना चाहिए कि आप को यह समय

13:59प्राप्त हुआ है और इसको आप सकारात्मकता

14:03में साधना में अपनी दिनचर्या में परिवर्तन

14:07करके भी गुजार सकते हैं आप अध्ययन कर सकते

14:10हैं महापुरुषों की जीवनी का अध्ययन करिए

14:13आप आध्यात्मिक ग्रंथों का अवलोकन करिए और

14:19आप जैसे मैं अपने घर में बैठा हूं और आप

14:22अपने घर में बैठे हैं टेक्नोलॉजी ने इतनी

14:25ज्यादा सुविधा कर दी है तो इस तरह से जैसे

14:28मैं और आप वार्तालाप करने हैं इस तरह से

14:31भी आप बैठ कर के वार्तालाप कर सकते हैं आप

14:36योगा का आश्रय ले सकते हैं परिवार के साथ

14:40बैठ कर के कुछ अच्छे चिंतन कर सकते हैं तो

14:45जब आप आध्यात्मिक चिंतन करेंगे सद ग्रंथों

14:49का अध्ययन करेंगे सत्संग करेंगे तो आपकी

14:52बुद्धि परिमार्जित होगी और वह सकारात्मक

14:55विचारधारा में जाएगी और आप आनंदित रहेंगे

14:58और समय आराम से गुजर जाएगा प्रसन्नता से

15:00गुजर जाएगा तो ये प्रसन्नता की बात को

15:03लेते हुए जैसे आपने कहा कि शास्त्रों का

15:05अध्ययन कर किसी घर पर शास्त्र है ही नहीं

15:07कभी इंटरेस्ट रहा ही नहीं शास्त्रों में

15:09ऐसा हो सकता है ट्स ल राइट क्योंकि जीवन

15:11का अपना अपना ढंग है पर कुछ चीज है जो

15:13सबके पास है जैसे की सांस

15:16लेने का जो क्रम है तो प्राणायाम के बारे

15:20में वैसे तो सभी सुन रहे हैं आजकल बहुत

15:22अधिक और इसमें बात करते बाबा रामदेव जी

15:25याद आ जाते पर आपके द्वारा अपने अनुभव से

15:29हम जानना चाहेंगे कि प्राणायाम का क्या

15:32असर आपने खुद अपने ऊपर घटित होते हुए देखा

15:36और अगर जो सरलतम जो प्राणायाम है जो कि

15:40समझो किसी ने कभी नहीं किया हो तो अभी

15:43आपको बाय देख रहे हैं तो आप उनको ऐसे रसमय

15:46से बताए कि उनको लगे हा मैं करूं तो सही

15:49बहुत सिंपल है एक प्राणायाम मैं अभी अभी

15:51बता देता हूं और वो प्राणायाम है आपको कुछ

15:55नहीं करना जैसे बैठे सहजता से बैठे रहे

15:59और आप लंबी सांस ल नासिका

16:09से और उसके बाद जब शवास छोड़नी है तो ओम

16:13का उच्चारण करते हु शवास छोड़नी है

16:27जैसे

16:39[संगीत]

16:51तो यह अगर आप तीन बार पांच बार सात बार 10

16:57बार 15 बार अगर आप आप करते हैं तो इससे जो

17:00आपका आपकी जो बुद्धि का जो भटकना है जो

17:03माइंड आपका यहां वहा भटकता है वो केंद्रित

17:05हो जाएगा और आपको

17:07आप को बहुत शांति बहुत आनंद अपने आप अनुभव

17:11होगा तो आप ये करके देखिए आप बैठे बस कु

17:14कुछ नहीं करना और अगर आपको ओम भी नहीं

17:16बोलना तो कुछ मत करिए बस सिर्फ एक काम

17:19करिए शवास को लंबा

17:26खींचिए शवास को स्लोली स्लोली आप लंबा

17:28लेते हैं पहले और उसी क्रम में धीरे धीरे

17:31स्लोली स्लोली छोड़ते हैं यह भी एक

17:33प्राणायाम है दूसरा यह है कि आप बैठे हैं

17:36और आप ये अनुलोम विलोम प्राणायाम कर सकते

17:40हैं एक तरफ की नासिका को दबाए और एक तरफ

17:42के शवास को स्लोली स्लोली बिल्कुल धीरे

17:44धीरे

17:45कंटिन्यू

17:49खींचे शवास जब भर जाए तो इस नासिका को दबा

17:53के इस तरफ से पूरी शवास को बाहर

17:57छोड़े

18:01सास पूरी छोड़ने के बाद इसी तरफ से फिर से

18:04शवास को अंदर ले स्लोली स्लोली यह करते

18:06हैं तो आप दो मिनट में बहुत ज्यादा

18:11आपको परिश्रम करने की आवश्यकता है दो मिनट

18:14में आपको आपका चित्त आपका मन मस्तिष्क

18:18बहुत काम डाउन हो जाएगा लॉकडाउन बाहर

18:22रहेगा और आपकी आपका जो मन भागता रहता है

18:25वो भी लॉकडाउन हो गया आप बहुत शांत सरल और

18:28आनंद में हो जाएंगे तो प्राणायाम अपने आप

18:31हमारी हमारी जो जो वैदिक कर्मकांड है

18:35उसमें आप भी कर्मकांड कराते हैं कभी कभार

18:38और लेकिन मैं तो मेरा तो जीवन कर्मकांड

18:42पंडित की तरह व्यतीत होता है तो हमारे

18:45उसमें यह परंपरा है कि आप किसी भी पूजा को

18:48आरंभ करने से पहले त्रि प्राणायाम कम से

18:51कम तीन बार प्राणायाम करें और उसका मतलब

18:54यही है कि प्राणायाम करने से आपका चित्त

18:57जो है आनंद में और एकाग्र हो जाता है उस

19:00कर्म के प्रति जो आप करने के लिए बैठे तो

19:03चित्त एकाग्र हो यानी कंसंट्रेशन बेटर हो

19:06जाए और जो भागता है मन बहुत सारी दिशाओं

19:11में उसको लेकर जो चिंता है व्यग्रता है

19:15और एक एंजाइटी है उससे बचने में प्राणायाम

19:21बहुत मदद कर सकता है करता है जो प्रैक्टिस

19:24करते हैं उनके लिए पर कई बार हम सोचते हैं

19:27सिर्फ सास आ रही इससे थोड़ी फर्क पड़ेगा

19:29पर जब तक हम अभ्यास नहीं करते तब तक हम

19:31पता नहीं चलता कि ये तो एकदम जादू मंत्र

19:33है जो हमारे पास हमारे साथ हमेशा है ही है

19:36तो एक जादू मंतर की तरह कह दे या असरकारी

19:40जो है व जब का भी बड़ा महत्व सुनते भी आए

19:43और अभी जब शांति के साथ समय है

19:48तो जब के बारे में थोड़ा बताए त्रिपा जी

19:51और अगर ऐसा कोई आपको लगे मंत्र जो सबके

19:53लिए अनुकूल हो और सरलता से किया जा सकता

19:56हो तो एक मंत्र तो बहुत अच्छा है कि आप जो

20:00है ना अगर अगर गायत्री जप सकते हैं तो

20:04गायत्री जप में गायत्री जिनको बड़ा लगता

20:07है तो ओम नमः शिवाय का जप करें ओम नमः

20:10शिवाय जो शिव के भक्त हैं जो भगवान विष्णु

20:16के प्रति है ओम नमो भगवते वासुदेवाय राम

20:19के लिए कृष्ण के लिए भगवान नारायण का जप

20:21करें ओम ंग ह्रीम क्लिंग चामुंडा विचे य

20:26शक्ति का मंत्र जप सकते हैं और कुछ नहीं

20:29करना है तो सिर्फ ओम का जप

20:32करें और हो सकता है तो त्रयंबक मंत्र का

20:35जप करें तो बहुत सारे मंत्र है पर मैं

20:37कहूंगा कि इस समय में अगर गायत्री मंत्र

20:42का जप करें तो बहुत बढ़िया है और गायत्री

20:46मंत्र लगभग सबको आता है पर फिर भी एक बार

20:49मैं और आप दोनों लोग गायत्री मंत्र को बोल

20:51लेते हैं बिल्कुल

20:54ओम भूर भुव

20:57स्व सावितुर

21:01वरेण्यम भर्गो देवस्य

21:05धीमहि यो योन

21:10प्रचोदयात ये मंत्र गायत्री मंत्र का जप

21:13करें बैठ कर के आख बंद करके प्राणायाम

21:16इत्यादि करके और मन में इस मंत्र का जप

21:18करें तो आपका मन भी एकाग्र होगा आपकी

21:21बुद्धि परिमार्जित होगी और आप आनंद से

21:23परिपूर्ण हो जाएंगे यह मंत्र बड़ा लगता है

21:26तो ओम नमः शिवाय इसका जप करें ओम नमो

21:30भगवते वासुदेवाय इसका जप करें तो कोई भी

21:34एक मंत्र आप ले ले और उसी में आप चि को

21:38समाहित करके उसका जप करते रहे बैठ कर के

21:42थोड़ा अध्ययन करें कोई पाठ करें तो आप

21:45आनंद से इस समय को पार कर पाएंगे और आपका

21:48जीवन सुखद रहे हमारे अंदर हीलिंग का जो

21:51पूरा सामान है वो ईश्वर ने अंदर ही उसको

21:55संजो कर रखा हुआ है बातचीत को समापन की

21:58तरफ ले जाते हुए मैं फिर एक बार धन्यवाद

22:01करना चाहूंगा हमारे शास्त्री जगदीश

22:02त्रिपाठी जी का शास्त्री जी आपके लिए मंगल

22:05कामनाए धन्यवाद के साथ में और हमारे सभी

22:08दर्शक मित्र जो आप हमारे साथ जुड़े हैं

22:11आपके लिए मंगल कामनाए

22:13और एक फिल्म का गीत मुझे भी याद आता है

22:16त्रिपाठी जी की बात सुनते हुए तो वह कहते

22:18हैं कि जरा सी आहट होती है तो दिल ये

22:22सोचता है कहीं ये वो तो नहीं तो अब ये हो

22:24गया कि थोड़ी सी चीक होती है तो दिल ये

22:26सोचने ल है कहीं वो तो नहीं है यार तो

22:29वैसा नहीं है यह बात हम अच्छी तरह से याद

22:32रखें वो मुझे लगता है सार है कहीं ना कहीं

22:35शास्त्री जी की बात का और कुछ थोड़े बहुत

22:37उपाय जिनकी चर्चा हमने की उसमें से

22:39प्राणायाम बड़ा कारगर है और जप करने की जो

22:42अभ्यास करते हैं तो भी मन उससे हमारा

22:45संतुलित और और अधिक चुस्त रहता है लचीलापन

22:49बढ़ता है इन सब बातों को करते हुए फिर एक

22:52बार शास्त्री जी आपको हम समय समय पर इसी

22:55तरह से कष्ट देते रहेंगे तो आप धन्यवाद है

22:58जीस जी सर्वे भवंतु सुखना सर्वे संतु

23:02निरामय सर्वे भद्रा

23:05प दुख भाग

23:07भवे ओम शांति शांति शांति के साथ में स

23:12लोका समस्था सुखनो भव सुखिनो भवंतु

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